Wednesday, February 12, 2014

प्रमोद दीक्षित
गुलाब दिवस हे कल
लाखों गुलाब रास्ता देख रहे हे आज,
किसी सुरबाला के गहने बनने के लिए ,
किसी सुंदर हाथ में पहुचने के लिए 
कोई आशंकित हे कि उसका गुलाब
स्वीकार होगा क्या ?
कोई सुगन्धित स्वप्नो में खोया है
गुलाबों की खुशबु में कल को महसूस कर रहा है
कोई मायूस है
कितने महगें गुलाब !कितना मंहगा प्रेम !
पर पुष्प विक्रेता खिल उठा है
भला हो संत वैलेंटाइन देव का
सात दिन तो कृपा बरसेगी ही...
आमीन !

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