Tuesday, May 20, 2014



आज की कविता
डॉ प्रमोद कुमार दीक्षित
२० मई २०१४
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गलत होगा अगर कहूँ कि 
तुम दिल की धड़कन में रहती हो
धड़कन ही तुम हो
गलत होगा अगर कहूँ कि
तुम आँखों में बस गयी हो
आँखों की रौशनी ही तुम हो
तुम्हारे हीरास में पगा हूँ
तुम्हारे ही रंग में रंगा हूँ
तुम ही हो वो तुम ही हो
हाँ तुम ही हो ,बस तुम ही हो
मेरी कहानी ,मेरी कविता
मेरी अतीत मेरी वर्तमान
मेरी अनजान ,मेरी नादान
तुम ही हो बस तुम ही हो

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