14 APRIL 2014 UPLOAD OF TODAY
DR.P.K.DIKSHIT
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शिशु ,मुझे बाहर जाने से रोकने के लिए
दरवाज़े को रोक कर खड़ा हो गया है
नन्हे हाथो और सर के इशारे से मना कर रहा है
अभी बाहर मत जाओ ,खेलो मेरे साथ
काश में भी बालक होता
तो उसको रोक लेता
अभी न जाओ मम्मी पापा के साथ
ये बड़ा होना इतने तर्क सिखा देता है
इतना बेबस बना देता है
पर उम्र बढ़ने को कोई रोक पाया है कभी
समझदार बन ने को रोक पाया है कभी?
ज़िद नहीं कर सकते
मचल नहीं सकते
बस इतना बचपन बचा है
कि रो सकते है , चुपचाप
याद कर सकते है खामोश
DR.P.K.DIKSHIT
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शिशु ,मुझे बाहर जाने से रोकने के लिए
दरवाज़े को रोक कर खड़ा हो गया है
नन्हे हाथो और सर के इशारे से मना कर रहा है
अभी बाहर मत जाओ ,खेलो मेरे साथ
काश में भी बालक होता
तो उसको रोक लेता
अभी न जाओ मम्मी पापा के साथ
ये बड़ा होना इतने तर्क सिखा देता है
इतना बेबस बना देता है
पर उम्र बढ़ने को कोई रोक पाया है कभी
समझदार बन ने को रोक पाया है कभी?
ज़िद नहीं कर सकते
मचल नहीं सकते
बस इतना बचपन बचा है
कि रो सकते है , चुपचाप
याद कर सकते है खामोश
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