ज़िंदगी हे कहाँ?
अरे !नहीं देखा ज़िंदगी को?
शिशु का खिलखिलाना देखो
बारिश में बूंदों का मचलना देखो
भूखे को भोजन दे कर देखो
प्यासे को पानी दे कर देखो
चिड़िया के बच्चे को चुग्गा खाते देखो
किसी के सर पर प्यार से हाथ रख कर देखो
संगीत को शांति से सुन कर देखो
फूल को बिना तोड़े सूंघ कर देखो
किसी के आने खबर से खुश हो
और बढ़ती धड़कन को गिन कर देखो
दुश्मन को माफ़ कर के देखो
दोस्त को शुक्रिया कह कर तो देखो
किसी को टूट कर चाह के देखो
किसी की निकलती आह को रोको
सपने देखो ,सच में रंग बातें करेंगे
और बातों से खुशबू आएगी
कायनात ग़ज़ल गुनगुनायेगी
और ज़िंदगी ज़िंदा हो जाएगी
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