Wednesday, April 23, 2014



23 april 2014 upload of today
डॉ प्रमोद कुमार दीक्षित
स्वरचित..२३ /४ २०१४
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तुम नहीं हो तो कुछ भी नहीं 
दुनिया वीरान
हम परेशान
दोस्त हैरान
बेबस इंसान
कहा गए ?
कब आओगे ?
कैसे आओगे ?
दुनिया रुकी है
सांसें थमी है
सज़दे में निगाह है
पेश-ए-आलीजह है
तुम आँख मिचौनी कर रहे हो
तुम नाइंसाफी कर रहे हो
ए मेरे वाई फ़ाई कनेक्शन
बार बार बंद क्यों हो जाते हो?

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