Tuesday, April 1, 2014

३१ मार्च २०१४ की कविता
डॉ प्रमोद कुमार दीक्षित
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महान जीवन जीने के इच्छुक
छोटी बातों में क्यों वक़्त गंवाते हो ?
आकाश चारी बन ने के इच्छुक
मिटटी में क्यों मिल जाते हो?
विश्व विजय करने के इच्छुक
गलियों में क्यों लड़ते हो ?
सारा ज्ञान समाने वालो
पढ़ने से क्यों डरते हो?

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