Tuesday, April 15, 2014

15 APRIL 2014... UPLOAD OF TODAY
DR.P..DIXIT
---------------------------------------------------------कब तक नर्गिस अपनी बेनूरी पर रोती?
मेने 1969 1973 तक १२ वी और बीएससी के लिए बस यात्रा की है..११ किलोमीटर प्रतिदिन .मेरा कॉलेज जनता कॉलेज बकेवर श्रेष्ठतम कॉलेज था .अध्यापक पढ़ाते थे ,और हम पढ़ते भी थे कक्षा मेँ पंखे नहीं थे .पर गर्मी नहीं लगती थी...ग्लोबल वार्मिंग नहीं थी न !एयरकंडीशनर या कूलर नहीं थे जो अंदर की गर्मी बाहर उगलते हों ...को एजुकेशन था पर मैथ्स मेँ लड़कियां नहीं थी तो बायो की क्लास दूर से ही लोग देखा करते थे .एक लड़की ने पोस्टकार्ड पर मुझे प्रोपोज़ किया .पत्र खुला था ,और क्लास टीचर के हाथ मेँ पोस्टमैन ने दिया ..वो आग बगुला होने ही थे सो हुए ...मुझे खड़ा किया..मेँ अनजान ,बेचारा ..मेने कहा मेँ नर्गिस को नहीं जनता...यही नाम था कन्या का ....सब लड़के हंसने लगे ...नर्गिस को कौन नहीं जनता !वो सुन्दर लड़की थी सब की "मोस्ट वांटेड" मेरा चेहरा देख कर टीचर ने मन लिया पर नर्गिस को बुलाया प्राचार्य ने ...हैंड राइटिंग मिलाई और उसे ससपेंड कर दिया ...३ महीने के लिए...
फिल्म होती तो हमारी कहानी चल पड़ती..पर ये था जनता कॉलेज ..कोई कहानी बन ही नहीं पाती थी छूट पुट कविताये भले ही बन पाएं ..नर्गिस की बहुत खास दोस्त देहरादून मिली थी 1983 मेँ ट्रेनिंग के दौरान, तब उसने बताया की नर्गिस पढ़ने वाली लड़की थी ,उसी की हैंड राइटिंग बना कर किसी सरिता ने पत्र लिखा था और नाम उसका डाल दिया था ,प्राचार्य ने नहीं माना और नर्गिस को दंड मिला ..मेरा मन कड़वा हो गया ...कैसे स्टूडेंट है जो अपनी सहपाठी से जलते हैं ..
अब २००१ की बात ..मेँ बिजनौर पोस्टेड था .एक दिन सिद्धबली हनुमानजी गया तो दुगड्डा मेँ एक पिकनिक स्पॉट मेँ पत्नी की मुलाकात एक महिला से हुयी ..बात आगे बढ़ी तो उन्होंने कहा की वो बकेवर की ही हैं ..मेँ ने भी रूचि ली, वो नजीबाबाद मेँ बैंक अफसर थी .नाम पुछा...नर्गिस ...मेने पुछा तो आप बकेवर जनता कॉलेज मेँ कब पढ़ी थी?"1970 मेँ"जवाब था ....मेने कहा पोस्टकार्ड याद है ? वो बोली की आप कैसे जानते है ? मेने कहा की मुझे ही तो लिखा था...वो बोली ""मेँ तो तब भी आपको नहीं पहचानती थी ,पता नहीं किस ने लिखा था ?"मेने कहा सरिता ने लिखा था ...उन्होंने कहा "आज मेँ बे फ़िक्र हुयी क्युकी मुझे लगता था की सब मुझे क्या क्या कहते होंगे ?मेने उन्हें आश्वस्त किया की मेने प्रिंसिपल को भी पत्र लिख कर बता दिया था ,आप निर्दोष हैं ...
उस भली महिला के चेहरे पर उस दिन जो सुकून मेने देखा मेँ भूल नहीं सकता ...
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