Tuesday, April 1, 2014

०१ अप्रैल २०१४ की कविता
डॉ प्रमोद कुमार दीक्षित
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तुम्हे हमसे प्यार कितना ये हम नहीं जानते
हमें तुमसे प्यार कितना ,ये तुम नहीं जानते 
दोनों एक दूजे का प्यार खोज रहे हें
दोनों एक दूजे मन पढ़ रहे हें
ज़िंदगी कितनी खूबसूरत हे
दोनों को एक दूजे की ज़रुरत हे

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