Thursday, April 3, 2014



०३ अप्रैल २०१४ आज का अपलोड
डॉ प्रमोद कुमार दीक्षित
-------------------------------------------------नानी तुम कब "जाओगी?"
मेरी नानी इटावा रहती और में भरथना ,२२ किलोमीटर .वो ट्रैन से आती और ३-४ दिन रहती थी.वो मेरे लिए बहुत सी चीज़ें ,खिलोने ,कपडे लाती थी ,.मेरी माँ उनकी अकेली बेटी थी और में अकेला नाती .भाई तो मुझसे नो वर्ष छोटा है.तब वो नहीं जन्मा था .में नानी से आते ही पूछता था :नानी कब जाओगी?"में यह सुनिश्चित कर लेना चाहता था कि में कितने दिन के लिए बहुत खुश महसूस कर सकता हूँ "में उनके जाने के लिए मानसिक रूप से तैयार हो सकू और दुःख को मैनेज कर सकूँ .बे लोग हँसते थे पर मेरा डेवलप्ड थॉट नहीं समझते थे
अब जब कोई मेरी दोस्त बनती हें तो में यही पूछता हूँ "कि कब तक साथ दोगी ?"कोई उत्तर दे न दे पर शादी होने तक ही दोस्त बन पाती है इसीलिए मेरी सबसे स्थाई दोस्त है मेरी सिस जो शादी होने के बाद मेने बहन के रूप में स्वीकार की है .
पर ये तो सोचा न था कि मेरे बेटे बहु ,पोते अचानक बाहर रहने चल देंगे ...ट्रैफिक जैम के कारन नॉएडा से आना जाना भरी पड़ रहा था ,सब अब वही रहेंगे ..मेरे लिए बड़ा भारी पड़ रहा है ये अलगाव ,पहला शब्द बाबा ही बोला है छोटे ने ,मेरी पत्नी को दादी नहीं ,मम्मा कहता है ....सेल्फी फ़ोटो का महा शौकीन है ,सेल से कॉल कर देता है ,ब्लैंक मेसज भेज देता है ,दूसरा पोता कह रहा था बाबा कि बहुत याद आएगी पर जाना तो पड़ेगा ही ..वो समझदार हो गया है ..मेरे गिलास का पानी ज़रूर पीता है ...मेने तो सोचा था कि बच्चे कहा जायेगे ? नानी थोड़े ही है जो अपने घर जायेगी?पुछा ही नहीं था कि कब तक हो ,वर्ण मानसिक रूप से तैयार हो लेता ...

No comments:

Post a Comment