Tuesday, February 25, 2014

मेरी प्रशासनिक यादें 1..डॉ पी के दीक्षित
आज से ये नया पृष्ठ प्रारम्भ करता हूँ २५ फरबरी २०१४
मेरी नयी नयी नियुक्ति हुयी थी.नैनीताल पंहुचा था २ डिग्री सेलसियस तापमान था .३ अक्टूबर १९८३
में कोषधिकारी हुआ था PCS १९८१ बैच से.
रात को पंहुचा था .में पाउडर मिल्क बिजली की केतली चाय की पत्ती साथ ले गया था बड़े मन से रात १० बजे चाय बनाने चला तो पता चला कमरे में कोई प्लग नहीं हे !!मन मर कर सोना पड़ा .बुरा लगा.में चाय पिए बिना सो नहीं सकता .
सुबह ५ बजे सीटी बाजी..हवलदार बुला  रहा था पी टी के लिए बिना चाय के में ओ चल भी नहीं पता था ,पर क्या करें ..हाफ पैंट टी शर्ट में पी टी कर के वार्म अप  हुए.ये कहा फस गए हम?
अब  घूमने का कार्यक्रम बना . सुबह सुबह टिफेन टॉप  की और चले .घुमाव दार पगडंडियां ..कल कल करते झरने .हरी भरी वादियां .सरल निश्छल इंसान .छोटी छोटी गायें.हांपते हुए हम मैदानी लोग!इतनी चढ़ाई की आदत नहीं थी न.  खैर आ गया टिफेन टॉप.पानी पिया ,सांस भरी ज़ोर ज़ोर से फेफड़ो में.ठंडी ठंडी हवा नीचे निगाह गयी तो हल्द्वानी दिखाई दिया ..धुंधले कुहरे में लिपटा.हमारे और मैदान के बीच बादलो की साजिश...आँख मिचौनी...हम तो फ़िदा हो गए!
एक सुकून भरी साँस ली...में दुनिया के ऊपर आ गया था ..आज में ऊपर...आसमान नीचे...स्थाई सरकारी नौकरीसुंदर पत्नी,क्यूट दो बच्चे ..और क्या चाहिए...
में तो सच में आत्म मुग्ध हो गया...धन्यवाद  ईश्वर.!

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