18 फरवरी 2014 आज की कविता
डा प्रमोद कुमार दीक्षित
सुबह देर तक सोने का सुख
मनपसंद खुशबू दार स्वादिष्ट पकवान
सर्दियो की धूप बारिश की सिहरन
गर्मी की तपिश वसंत की कशिश
नटखट दुष्ट प्यारे दोस्त
पिता के कन्धे मा की गोद
नानी के लाये खिलौने
मिट्टी की खुशबू
उफ! ये सब कुछ खोने के लिए
कितनी मेहनत की है हमने
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