क्यूँ जिंदा रखा है मुझे
क्या चाहता है मुझसे तू
क्यूँ मुझे इतना दुःख देता है
क्यूँ मुझे इतना आनंद देता है
क्यूँ मुझे दीवाना कर देता है
क्यूँ मुझे बेगाना कर देता है
क्यूँ मुझे सबका बना देता है
क्यूँ मुझे सबसे दूर कर देता है
क्यूँ मुझे अपना बना लेता है
क्यूँ मुझे अपने से दूर कर देता है
क्यूँ मेरी हरकतों से तू परेशां नहीं होता
क्यूँ तेरी बरकतों से मैं हैरान नहीं होता
ये क्यूँ का सिलसिला यूँही जारी रखना
ये क्यूँ ही जीने का हौसला देते हैं.......(अंकुश चक आलम
क्या चाहता है मुझसे तू
क्यूँ मुझे इतना दुःख देता है
क्यूँ मुझे इतना आनंद देता है
क्यूँ मुझे दीवाना कर देता है
क्यूँ मुझे बेगाना कर देता है
क्यूँ मुझे सबका बना देता है
क्यूँ मुझे सबसे दूर कर देता है
क्यूँ मुझे अपना बना लेता है
क्यूँ मुझे अपने से दूर कर देता है
क्यूँ मेरी हरकतों से तू परेशां नहीं होता
क्यूँ तेरी बरकतों से मैं हैरान नहीं होता
ये क्यूँ का सिलसिला यूँही जारी रखना
ये क्यूँ ही जीने का हौसला देते हैं.......(अंकुश चक आलम
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