Wednesday, February 12, 2014



में कवि हूँ तुम सबका
रचना ...प्रमोद दीक्षित 9810257742
में कवि हूँ तुम सबका
तुम सबके दिल में रहता हूँ
सबके मन की सुनता हूँ
सबके भाव समझता हूँ 
झंकार ह्रदय की सुनता हूँ
में तुम में सदा धड़कता हू
ताने बाने तुमसे लेकर
तुम्हारे सपने बुनता हूँ
में कवि हूँ प्रेम भावना का
नफरत से नफरत करता हूँ
मै अपना हू सब अपनों का
अफसाना हू परवानो का
मै खुश्बू हूँ ,गहराई हूँ
खुशफहमी की ऊँचाई हूँ
मै तुम सबकी सोच मे रहता हूँ
तुम सब के दिल मे रहता हूँ

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