Friday, February 28, 2014

२८ फरबरी २०१४ ..आज की कविता
डॉ प्रमोद कुमार दीक्षित
कुछ हल्का फुल्का हो जाये
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हमें तुमसे प्यार कितना ये हम नहीं जानते
[तो क्या पडोसी जाने गे जो सारे नज़ारे झांकते रहते है]
मगर जी नहीं सकते तुम्हारे बिना
[ये "मगर"तुम्हारे बिना क्यों नहीं जी सकते?]
तेर जलवा जिसने देखा वो तेरा हो गया
[अब में क्यों कमाऊ ,सब मेरा हो गया ]
तेरे आने कि जब खबर महके
[डीओ लगाया करो यार ]
तुम मुझे यु भुला न पाओगे
[उधार ले कर जा रहा हू.वसूल न पाओगे]
तू जहा जहा चलेगा ,मेरा साया साथ होगा
[वसूल तो लूगा ही सेल्स टैक्स वाला हू]

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