१९ फरबरी २०१४ आज की कविता ...डॉ प्रमोद कुमार दीक्षित
तस्वीर तेरी कहा तक देखू?
आएने में तेरा चेहरा कैसे देखू?
जो चेहरा आइना था मेरा
वो दिल से निकाल कर कैसे देखू?
हज़ारो तस्वीरे ताज़ा हे ज़ेहन में मेरे
हकीकत में रूबरू कैसे देखू?
तेरी आवाज़ खनकती हे कानो में मेरे
उस आवाज़ को करीब से में कैसे देखू?
तेरी धड़कन की आवाज़ न भूला अब तक
तेरे सीने पे खुद को सोता हुआ कैसे देखू