Sunday, February 16, 2014

१६ फरबरी २०१४ रविवार
आज की कविता
डॉ. प्रमोद कुमार दीक्षित
प्रेम की बातें बहुत हुयी
बिछुड़न की बातें करते हें
इक़रार की बातें बहुत हुयी
इंकार की बातें करते हें
मिलन पर्व तो  बीत गया
तकरार की बातें करते हें
रहते थे कभी जिनके दिल में
अब उनकी बातें करते हें
छोड़ गए मंझधार में जो
अब उनकी बातें करते हें
चले गए जो दुनिया से
बस उनकी बातें करते हे..

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