Monday, February 24, 2014

२४ फरबरी २०१४ ..आज की ग़ज़ल
डॉ प्रमोद कुमार दीक्षित
सितारों के आगे जहाँ और भी है मेरी दोस्त
ज़ुल्फो के सिवा आशियाँ और भी हें मेरी दोस्त
कसमो के अलावा और भी कुछ है निभाने के लिए
गर छोड़ के न जाओ कही तुम मेरी दोस्त
और भी ग़म हें ज़माने में मोहब्बत के सिवा
गर समझ जाओ तो अच्छा है मेरी दोस्त
बेपनाह मोहब्बत की है तुमसे हमने
अब नादाँ न बन कर समझ भी जाओ मेरी दोस्त
ज़िंदगी का समंदर घिर रहा है तूफ़ान से
थके हाथों से पतवार ले भी लो मेरी दोस्त .. ..

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