Wednesday, February 12, 2014

प्रमोद दीक्षित
फिर मिलना ........
कभी यूं ही मिलो मुझसे
किसी स्लीपर कोच की बराबर की बर्थ पर
सोती हुई बहुत खूबसूरत अनजान लड़की की तरह 
किसी स्कूल की किसी क्लास में
पढ़ने वाली चुपचाप सी लड़की की तरह
किसी के खयालो में डूबी लड़की की
उड़ती हुई आलस लट की तरह
किसी रांझे की बिछड़ी हीर की तरह
किसी जिस्म की छूट गयी रूह की तरह
या फिर किसी फिक्रमंद दोस्त की तरह
मुझे पता हे तुम मिली तो हो
अलग अलग नामो से अलग अलग वक्तो में
पर मेने कहा पहचाना तुम्हे
कब जाना तुम्हे
जाने दिया ,फिर मिलने को ....

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