२२ फरबरी २०१४ आज की कविता
डॉ प्रमोद कुमार दीक्षित
मुझसे लिपटा है तेरा वजूद
न गया है न जायेगा
मेरी आँखों में बसा है तेरा चेहरा
न गया है न जायेगा
मेरे कानो में बसे है तेरे नग्मे
अब कौन मुझे सुनाएगा
मेरे बालों में उलझे है गेसू तेरे
अब कौन इन्हे सुलझाएगा
मेरे खयालो में बस तू ही तू
देखे कौन तुम्हे निकालेगा
अब जबकि तुम हुई हो मेरी
देखे कौन तुम्हे ले जायेगा
तुम रूह हो मेरी जानशीन
मेरे जिस्म से कौन निकाल पायेगा
डॉ प्रमोद कुमार दीक्षित
मुझसे लिपटा है तेरा वजूद
न गया है न जायेगा
मेरी आँखों में बसा है तेरा चेहरा
न गया है न जायेगा
मेरे कानो में बसे है तेरे नग्मे
अब कौन मुझे सुनाएगा
मेरे बालों में उलझे है गेसू तेरे
अब कौन इन्हे सुलझाएगा
मेरे खयालो में बस तू ही तू
देखे कौन तुम्हे निकालेगा
अब जबकि तुम हुई हो मेरी
देखे कौन तुम्हे ले जायेगा
तुम रूह हो मेरी जानशीन
मेरे जिस्म से कौन निकाल पायेगा
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