Saturday, March 22, 2014

उम्र का १४ वां साल
1969 ...........................
मै हाई स्कूल पास कर चुका था .एडमिशन के लिए दूसरे कॉलेज जा रहा था ,बस से .बस खाली थी .मै सबसे पीछे कि सीट पर बैठ गया .मेरे पिता टिकट ले कर आये तो मुझे पीछे बैठे देखा .पास आ कर बोले "जब आगे सीट खाली हें तो कभी पीछे मत बैठना .आगे बैठने के लिए हम तुम से अच्छा कौन है?"ये जीवन का सबक था ."सारी दुनियां आगे की सीटों पर आँखें बिछाए तुम्हारा इंतज़ार कर रही है क्योकि वो आगे रहने मै डरते हें.तुम आगे के लिए ही बने हो ,वो नहीं."उनके ये वचन किसी बुद्धा या स्वामीजी से कम नहीं थे .मेने शिरोधार्य किए.और सदा अपनाया .

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