अँर्तमन की झंकारोँ मेँ गीत कभी सुन लेता हूँ
शब्दोँ के धागोँ से कुछ सपने मैँ भी बुन लेता हूँ
तुम्हेँ लगे है कविता सी जो कुछ मैँ कहता हूँ देखो
काव्य छिपा है हर जीवन मेँ सारी प्रकृति ही तो उपवन है
इस उपवन के वृश्रोँ से कुछ पुष्प यूहीँ चुन लेता हूँ
Its mine
शब्दोँ के धागोँ से कुछ सपने मैँ भी बुन लेता हूँ
तुम्हेँ लगे है कविता सी जो कुछ मैँ कहता हूँ देखो
काव्य छिपा है हर जीवन मेँ सारी प्रकृति ही तो उपवन है
इस उपवन के वृश्रोँ से कुछ पुष्प यूहीँ चुन लेता हूँ
Its mine
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