Saturday, March 22, 2014

२२ मार्च २०१४ आज की कविता
डॉ प्रमोद कुमार दीक्षित --------------
चलो आज कुछ अनैतिक करते हें
समाज जिसे पसंद न करे
गिन गिन कर वो ही करते हें
पढ़ते हें ,लिखते हें
ऐश करते हें ,मस्त रहते हें
खुश होते हें,हँसते हें,गाते हें
जीवन जीते हें ,प्यार से रहते हें
परिवार के साथ खुश रहते हें
जीवन में ऊंचे उठते हें
अच्छे अच्छे कपडे पहनते हें
अच्छा अच्छा खाते हें
ऐसा करके चलो समाज को जलाते हें
दुःख पहुंचाते हें ,ठेस पँहुचाते हें
चलो कुछ अनैतिक करते हें

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