Friday, March 21, 2014

२१ मार्च २०१४ आज की कविता
डॉ प्रमोद कुमार दीक्षित -----------------------------------कैसा हो इ-वसंत
देखो आया है इ-वसंत
भौंरे नहीं ,कोयल नहीं,
साइलेंट मोड के सेल की घूं घूं 
मंद पवन,सुगन्धित बयार नहीं
deo कि मस्त नशीली खुश्बू
पपीहा नहीं ,चातक नहीं
वाट्स एप और ऍफ़ बी
पीली पीली सरसों नहीं
सांवरी सलोनी घटा नहीं
पर फिर भी कितना प्यारा है वसंत !
क्योकि हम भी वही
तुम भी वही ,प्यार की डोरी भी वही
दुनिया बदले तो बदल जाये
वादियो में हो या ऑनलाइन
वसंत तो आता है !

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