Sunday, March 2, 2014

०२ मार्च २०१४ ..आज की कविता
डॉ प्रमोद कुमार दीक्षित
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तेरा नाम , सांचा नाम
मुझे अब और किसी से क्या काम
जब तू मेरा अपना
तो क्या किसी का सपना
आँखों में बसा हे रूप तेरा
कहा रह गया कुछ भी मेरा
लड्डूगोपाल मेरे कान्हा
जैसे आते हो वैसे ही आना
जन्माष्टमी की प्रतीक्षा मत किआ करो
जब मन करे आ जाया करो

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