१९ मार्च २०१४ ..आज की कविता
डॉ प्रमोद कुमार दीक्षित ----------
यह मन उदास है
कोई आसपास है
धड़कन सांसो में
एहसासों में
सुनायी देती है
कुछ लिखने का मन नहीं है
कुछ कहने का मन नहीं है
कोई मुझे समझता नहीं है
गुनगुनाहट सुनता नहीं है
रिश्ते फीके लगते है
शब्द रीते लगते है
प्यार शब्द शब्दकोष से
गायब हो गया लगता है
कुछ एहसास हाथों से
फिसल गया लगता है
माफ़ करना दोस्त मेरे
कुछ दिन तुम्हारे बिना
रहने को दिल करता है /
[not पर्सनल ]
डॉ प्रमोद कुमार दीक्षित ----------
यह मन उदास है
कोई आसपास है
धड़कन सांसो में
एहसासों में
सुनायी देती है
कुछ लिखने का मन नहीं है
कुछ कहने का मन नहीं है
कोई मुझे समझता नहीं है
गुनगुनाहट सुनता नहीं है
रिश्ते फीके लगते है
शब्द रीते लगते है
प्यार शब्द शब्दकोष से
गायब हो गया लगता है
कुछ एहसास हाथों से
फिसल गया लगता है
माफ़ करना दोस्त मेरे
कुछ दिन तुम्हारे बिना
रहने को दिल करता है /
[not पर्सनल ]
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