Saturday, March 8, 2014

2.मेरी दोस्त ने ऐसे रंग बदला ...प्रमोद दीक्षित
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मेरी एक दोस्त थी,मीरा दीक्षित .में उसके साथ ही पढ़ने जाता था .हाथ में हाथ डाल कर २० मिनट में हैम पहुचते थे ,तब तक हज़ारो बातें हो जाती थी.एक दिन मेने उसके घर पहुच कर उसे बुलाया तो वो कुछ बदली बदली सी लगी...चल तो दी पर आगे जा कर बोली"में अलग रस्ते से जाउगी,तुम अलग रास्ते से आना ."मेरी समझ में कुछ नहीं आया पर वो बड़ी थी और पहले कभी मेरी पिटाई भी कर चुकी थी.अतः मेने चुपचाप मान लिया .में 6 साल का बालक ,वो 7 की बड़ी सी लड़की !स्कूल पंहुचा तो पता लगा कि में कल अब्सेंट था तब उसको मॉनिटर बना दिया गया था यानि हेड गर्ल ,अब में बेचारा आम आदमी !उस से कोई मुकाबिला ही नहीं था ,उसका रास्ता अलग,मेरा अलग ...मुझे बुरा लगा ...माँ से बताया तो बोली कोई बात नहीं बहुत दोस्त मिलेगी ,रो मत ....में हमेशा से लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन लगानेवाला इंसान..!अगले ही दिन रीता दीक्षित ने मेरा लंच खा लिया ,और मुँह फुला कर बैठ गयी ,मेरा खाना गया पर मनाया मेने ही ..आखिर में लड़कियो का सम्मान जो करता था ...वो मेरी दोस्त बन गयी....अब मीरा अकेली पड़ गयी थी अपने घमंडी स्वाभाव के कारण.अगले दिन ही मुझसे माफी मांगी और मूंगफली भी ऑफर की पर मेने कह दिया "न मीरा न ,और नहीं बस और नहीं...."!

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