Saturday, March 1, 2014

०१ मार्च २०१४ आज की कविता
डॉ प्रमोद कुमार दीक्षित
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दोस्ती के सब रंग देख लिए
अब और नहीं चाहिए
जो हें ,बहुत प्यारे हें 
कोई और नहीं चाहिए
आज़मा चुका हू सबको,
अब हमें न आज़माइए
आसमान मेरा अपना है
ज़मीन नहीं चाहिए
सहानुभूति को को न समझे
ऐसे इंसान नहीं चाहिए
मेरे दिल में जज़बा है तुम्हारे लिए
इसे कमज़ोरी समझने वाले नहीं चाहिए
में इमोशनल हू ये ठीक है
पर इमोशनल फूल समझने वाले बिलकुल नहीं चाहिए

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