१४ मार्च २०१४ आज की कविता
डॉ प्रमोद कुमार दीक्षित -------------------एहसान मेरे दिल पर
उतना ही उपकार तुम्हारा
जितना साथ निभाया
उतना ही एहसान तुम्हारा
जितना तुमने चाहा
सबकी दोस्ती के रंग अलग हें
सबकी चाहत के अक्स अलग हें
तुम सब मेरे इंद्रधनुष
तुम सब मेरे सितारे
जीवन रंग डाला तुमने
प्यारे दोस्त हमारे
शिकायत क्या करू तुमसे
कि तुम याद नहीं करते
तुम जितने दिन रहे मेरे साथ
नियमत थी
दोस्त बनी,बेटी बनी,बहन बनी
तुम किसी कि अमानत थी
अपनाया ,तुमने प्यार से
मेरी देवदूत ,मेरी एंजेल,
तुम न होती तो दुनिया कैसी होती ?
में सोचता ही नहीं
क्योकि , तुम क्यों न होती?
तुम्हे तो होना ही था मेरी ज़िंदगी में .
मेरी खुश नसीब बंदगी में
डॉ प्रमोद कुमार दीक्षित -------------------एहसान मेरे दिल पर
उतना ही उपकार तुम्हारा
जितना साथ निभाया
उतना ही एहसान तुम्हारा
जितना तुमने चाहा
सबकी दोस्ती के रंग अलग हें
सबकी चाहत के अक्स अलग हें
तुम सब मेरे इंद्रधनुष
तुम सब मेरे सितारे
जीवन रंग डाला तुमने
प्यारे दोस्त हमारे
शिकायत क्या करू तुमसे
कि तुम याद नहीं करते
तुम जितने दिन रहे मेरे साथ
नियमत थी
दोस्त बनी,बेटी बनी,बहन बनी
तुम किसी कि अमानत थी
अपनाया ,तुमने प्यार से
मेरी देवदूत ,मेरी एंजेल,
तुम न होती तो दुनिया कैसी होती ?
में सोचता ही नहीं
क्योकि , तुम क्यों न होती?
तुम्हे तो होना ही था मेरी ज़िंदगी में .
मेरी खुश नसीब बंदगी में
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