Wednesday, March 12, 2014

 ११ मार्च २०१४ आज की कविता 
डॉ प्रमोद कुमार दीक्षित ---------------
माता पिता,जन्म ही नही देते 

सब कुछ देते हें 
समाज देते हें,नाम देते हें 
घर देते हें ,आत्मा देते हें 
ज्ञान ,संस्कार को आकार देते हें 
सपनो को साकार करते हे 
पिता की कठोरता ,माँ की नरमी 
पिता का अनुशासन,माँ का प्यार 
बहुत याद आता है,जब 
कोई हमसे दूर चला जाता है
पर उनका प्यार बरसता रहता है
हमारी रक्षा करता रहता है
महसूस करो प्रिया 
वो तुम्हारे आसपास हे न !
उनका प्यार तुम्हारे पास हे न 
उनके सपने के रूप में 
पूरा करो उसे ,महसूस करो
उनके आशीष भरे हाथ को

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