Thursday, March 27, 2014

२७ मार्च २०१४ आज की पोस्ट
डॉ प्रमोद कुमार दीक्षित -----------------------
बेटियाँ कितनी जल्दी बड़ी हो जाती हैं. जैसे अभी कल ही की बात हो, अन्वी ,मेरी पोती ,३ वर्ष कि थी २००८ मे.एक दिन प्रीती से खूब खेली फिर पूछा"आप का नाम क्या है?"
फिर कहा कि मुझे आप से बात कर के बहुत अच्छा लगा ...प्रीती,मेरी बहुत प्रिय स्टूडेंट जो अब सिर्फ यादों मे है ..

मेरे दिमाग़ से बात निकल गई थी लेकिन उसे अब तक याद है. जब मैं कंप्यूटर पे बैठा होता हूँ तो कभी कभी आ जाती है .... कभी अपनी ड्राइंग दिखाने कभी होमवर्क, कभी अपने पसंद का गाना सुनने तो कभी किसी चीज़ की फ़र्माइश ले के. पूछती है कि प्रीती दीदी कहा हें?

उस दिन की तस्वीरें देखती हुई उस ने फ़र्माइश की " बाबा.एक बार तुम ने मेरी फ़ोटो लगाई थी यहाँ... मे फोटोशॉप कर देती हू और प्रीती दीदी को भी जोड़ देती हू,फिर डेस्कटॉप अच्छा लगेगा... ?"

मैं ने कह दिया था "हाँ लगाऊँगा". फिर बात निकल गई मेरे दिमाग़ से लेकिन वो नहीं भूली. बार बार आ के देखती जब मैं कंप्यूटर पे बैठा कुछ कर रहा होता, कुछ कहे बिना चली जाती ..... शायद इस उम्मीद में कि बाबा को कुछ याद आ जाएगा. कल सुबह आख़िर उस ने कह ही दिया : कि मै अभी लगाउगी फ़ोटो और अपना लैपटॉप ले के बैठ गयी .९ साल कि बच्ची पॉवरपॉइंट पर काम करती है ,जो मुझे नहीं आता .जादू सा करती है कंप्यूटर पर पर काश वो कोई ऐसा जादू कर पाती कि उसकी प्रीती दीदी वपस आजाती ....

No comments:

Post a Comment