Monday, March 24, 2014

२४ मार्च २०१४ आज की कविता
डॉ प्रमोद कुमार दीक्षित -------------------
अरे प्रिये ये क्या कह दिया
प्यार को समझ ही नहीं पायी
मेरा दिल दुखा दिया
मेने माना जिसे उपासना 
तुम समझी वासना
क्या प्यार चेहरे से होता हे ?
क्या प्यार किन्ही आंकड़ो से होता हे ?
ये तो दिल से होता हे जो दिखाई नहीं देता
ये भविष्य की सुंदरता से भी नहीं होता
की कोई आगे चल कर इतनी सुंदर होगी...
इतना प्रेडिक्टिव होता तो व्यापार होता
शेयर बाज़ार होता ,फ्यूचर ट्रेडिंग होता
दलाली होती पर प्यार न होता ..
शरीर बिकते हें खुले आम
पर दिल ढूंढने पर भी नहीं मिलते
जो मिलते हें वो दिल की भाषा नहीं समझते
जागो मोहन प्यारे जागो
लोग छोड़  जाते हें मझधार में
ये दिल का विश्वास ही हे जो पार लगाता हे..!
[कविता मेरी हे पर किसी से कोई सम्बन्ध नहीं हे,बस यु ही..]

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