Sunday, March 9, 2014

०९ मार्च २०१४ आज की कविता
डॉ प्रमोद कुमार दीक्षित
---------------------------------------केदारनाथ आपदा
किया है विराट से साक्षात्कार
जल ही जल ,पर्वत पर पारावार 
महोदधि अपार ,असार संसार
करना था शिव से साक्षात्कार
देख लिया तांडव साकार
जल ही जीवन है ,सुना था
पर वहाँ तो जल ही विनाश था
सहस्र बाहें रक्षा के लिए थी
देवो के देव ,तुमने तो विनाश कर दिया !
आस्था का संहार कर दिया
तांडव का क्या यही अर्थ है?
तुम्हारी शरण में मारे गए
अनन्य भक्त तुम्हारे
तुम्हारा नाम ले कर
चले गए धाम तुम्हारे.!

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