Thursday, March 6, 2014

०६ मार्च २०१४ आज की कविता
डॉ प्रमोद कुमार दीक्षित
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देखी हें कभी आंसुओ की मुस्कान?
नहीं देखी तो क्या देखा?
एक बड़ी सफलता पा के तो देखो
माँ की आँखों में देख लेना
देखी हे सपनो की उड़ान ?
नहीं देखी तो क्या देखा?
रातो को जाग के देखो
सपनो को पंख लग जायेगे
देखी हे कभी मासूम शरारत ?
नन्हे बच्चे की आँखों में देखो न
देखी हे कभी हज़ार सूरजो की चमक?
उस भगवन को ह्रदय में बसा कर तो देखो
रंगो की खुश्बू को सुना हे कभी?
किसी को दिल से अपना कर तो देखो...

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