२५ मार्च २०१४ आज की कविता
डॉ प्रमोद कुमार दीक्षित -------------------
वो भी मेरा ही घर था ,ससुराल नही
जहा मिली थी तुम ,मेरी जीवनसाथी
सुख की ,दुःख की ,मेरी साथी
जहा बचपन पीछे छूटा
गृहस्थी में प्रवेश किया
एक और परिवार मिला
तुम्हारे भाई ,अपनों से भी ज़यादा
तुम्हारी बहिने ,बहिनो से ज़यादा
आँखों का तारा समझने वाले
तुम्हारे माता पिता ,
दामाद का दम्भ कही विलीन हो गया
साला साली कहने का मन ही नहीं किया
बस घर का हिस्सा बन गया
वो स्थान जहा तुम्हे पहली बार देखा
वो रसोई जहा तुमने पहली बार खाना परोसा
वो बाग़ बगीचे ,वो तालाब वो मंदिर
मेरी हर प्रगति के साक्षी हें
प्यार के ,मनुहार के ,इज़हार के साक्षी हें
कितनी मन्नतें ,कितनी पूजा
इसी गाव में परवान चढ़ी
दुआए कबूल हुयी
अब कोई नहीं हे यहाँ
तुम्हारे माता पिता नहीं रहते यहाँ
दुआओ वाले हाथ नहीं उठते
चलते समय कोई ढेर सारी आशीष नहीं देता
निकलता हु जब जब यहाँ से
ज़र्रा ज़र्रा पुकारता हे
सुनता सिर्फ में हूँ या तुम सुनती हो
तुम्ही देख पाती हो आँख के भीगे किनारे
यह ४० साल का साथ है
में तुम हो चूका हूँ और तुम में
ख़ामोशी का सफ़र भी कितनी बातें करता है
ये एक किलोमीटर का गाव ,
न जाने कितनी कहानियां कह जाता है
[real pic of my second home,sasural,ujhiyani etawah,NH2 ]
डॉ प्रमोद कुमार दीक्षित -------------------
वो भी मेरा ही घर था ,ससुराल नही
जहा मिली थी तुम ,मेरी जीवनसाथी
सुख की ,दुःख की ,मेरी साथी
जहा बचपन पीछे छूटा
गृहस्थी में प्रवेश किया
एक और परिवार मिला
तुम्हारे भाई ,अपनों से भी ज़यादा
तुम्हारी बहिने ,बहिनो से ज़यादा
आँखों का तारा समझने वाले
तुम्हारे माता पिता ,
दामाद का दम्भ कही विलीन हो गया
साला साली कहने का मन ही नहीं किया
बस घर का हिस्सा बन गया
वो स्थान जहा तुम्हे पहली बार देखा
वो रसोई जहा तुमने पहली बार खाना परोसा
वो बाग़ बगीचे ,वो तालाब वो मंदिर
मेरी हर प्रगति के साक्षी हें
प्यार के ,मनुहार के ,इज़हार के साक्षी हें
कितनी मन्नतें ,कितनी पूजा
इसी गाव में परवान चढ़ी
दुआए कबूल हुयी
अब कोई नहीं हे यहाँ
तुम्हारे माता पिता नहीं रहते यहाँ
दुआओ वाले हाथ नहीं उठते
चलते समय कोई ढेर सारी आशीष नहीं देता
निकलता हु जब जब यहाँ से
ज़र्रा ज़र्रा पुकारता हे
सुनता सिर्फ में हूँ या तुम सुनती हो
तुम्ही देख पाती हो आँख के भीगे किनारे
यह ४० साल का साथ है
में तुम हो चूका हूँ और तुम में
ख़ामोशी का सफ़र भी कितनी बातें करता है
ये एक किलोमीटर का गाव ,
न जाने कितनी कहानियां कह जाता है
[real pic of my second home,sasural,ujhiyani etawah,NH2 ]
amazing!!!
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